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सारस और नेवला की कहानी




एक विशाल बरगद के वृक्ष पर ढेर सारे सारस रहते थे। वही एक नाग भी रहता था।नाग सारस के बच्चों को पंख निकलने से पहले खा लिया करता था। परेशान होकर एक बार मां सारस रोने लगी। एक केकड़े ने उसे रोते हुए देखा तो उसने उसकी सहायता करने का निश्चय किया। उसने अपने मन में सोचा, " यह सारा हमारे शत्रु हैं। उनसे बदला लेने का यह शुभ अवसर है। " केकड़े ने सारस से कहा कि वह नेवले के बिल से नाग के बिल तक मछलियां डाल दे। नेवला मछली खाते खाते नाग तक पहुंचेगा और उसे खा लेगा। सारस ने प्रसन्न होकर वैसा ही किया। नेवले ने नाग तक पहुंचकर उसे मार डाला। उसके बाद नेवले ने  सारशो  पर धावा बोला।अनंत सरसो को अपनी जान बचाकर वहां से भागना ही पड़ा।




 शिक्षा - अपनी समस्या के निदान के लिए शत्रु पर कभी विश्वास नहीं करना चाहिए




 जल्दबाजी में किया गया विश्वास
 और मेहनत की बिना लगाई गई आस
 इन दोनों का परिणाम धोखा ही होता है




 मुह से जहर उगलने वालों ने
 सांपों को पीछे छोड़ दिया
 अपने जरा से स्वार्थ के लिए
 लोगों के जीवन में जहर घोल दिया  

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