हुई। उसने सारस को मित्र बनाकर रात्रि में भोजन के
लिए निमंत्रित किया ।लोमड़ी ने दो छिछली पयालिये में
सुप परोसा।पतली और लंबी चोच होने के कारण सारा
सुप नहीं पी सका ।वह भूखा बैठा लोमड़ी को देखता रहा
और लोमड़ी ने सारा सुख पी लिया सारस भूखा ही लौट
आया।पर उसने लोमड़ी को पाठ पढ़ाने का निश्चय किया।
एक दिन सारस ने लोमड़ी को निमंत्रण किया ।इस बार
सारस ने पतली गर्दन वाली सुराही में खाना परोसा ।
सारस ने अपनी लंबी चोच से खाना खा लिया। पर
लोमड़ी कुछ भी ना खा सकी। सुराही की पतली गर्दन
होने के कारण उसका मुंह फस जाती है। लोमड़ी को
अपनी भूल का अएहसास हो गया। और वह चुपचाप
वापस लौट आई ।
सीख_ अपने साथ जैसा व्यवहार चाहते हो वैसा ही दूसरे के साथ करना चाहिए