कार्य वश शहर से बाहर गया हुआ था। एक ढोंगी
सनयासी ने शहर में आकर लोगों के बीच अपनी
धाक जमा ली।राजा ने प्रभावित होकर उसे अपना
अतिथि बना लिया। एक दिन सन्यासी ने दावा
किया कि वह दिव्य शरीर धारण कर स्वर्ग जा
सकता है। मूर्ख राजा ने उस पर विश्वास कर
लिया। वह पूरे समय सन्यासी की बातों में खोया
रहता था। राज काज से भी राजा का ध्यान हटने
लगा।मंत्री ने वापस आकर यह सारा माजरा देखा।
उसने सन्यासी से दिव्य शक्तियों के प्रदर्शन के लिए
कहा। सन्यासी एक चबूतरे पर बैठ गया। उसने
कहा कि एक दिव्य शरीर धारण कर, पार्थिव शरीर
छोड़ वह स्वर्ग जाएगा। मंत्री ने चारों ओर आग
लगाकर उसके पार्थिव शरीर को जलाने की
योजना बनाई जिससे सभी दिव्य शरीर को स्वर्ग
जाता देख सके
मंत्री की योजना काम कर गई आग जलाते ढोंगी
सनयासी जान बचाकर भाग गया।
शिक्षा - ढोंगी का ढोंग सामने आ ही जाता है
जिसकी फितरत बदलने की हो
वह कभी किसी का ना हो सका
चाहे वह इंसान हो या समय
जिस पुरुष में अहंकार होता है
वह ना अच्छा प्रेमी होताहै
और ना अच्छा पति होता है
और ना ही एक अच्छा इंसान होता है