एक कुएं में बाघ, बंदर,सर्प और सुनार को देखा।
उसने जानवरों को कुएं से बाहर निकाला।
जानवरों ने उस व्यक्ति को धन्यवाद किया पर
सुनार की सहायता करने से रोका। फिर भी उसने
सुनार को बाहर निकाला यात्रा के समय बंदर ने
उस व्यक्ति को फल दिए। बाघ ने आभूषण दिए।
उस व्यक्ति ने सुनार को बाघ के दिए आभूषण
देकर पैसे मांगे किंतु सोनार आभूषणों को राजा
के पास लेकर चला गया। वे आभूषण रानी के
निकले। उस व्यक्ति को चोर समझकर राजा ने कैद
में डलवा दिया। कैद में सर्प ने उस व्यक्ति से जाकर
कहा, "मैं रानी को काट लूंगा और केवल तुम हीं
उसे ठीक कर पाओगे।" सर्प की कथा अनुसार ही
व्यक्ति ने किया। बीमार रानी ठीक हो गई। फिर
उस व्यक्ति ने पूरी कथा राजा को सुनाई। राजा ने
सोनार को कैद में डलवा दिया।
सीख - दयालुता और सत्यता की अनंत विजय होती हैं हमेशा दया करना चाहिए