और हड्डियों को चुभने वाली तेज हवा चल रही थी ।ठंड
से बेहाल, बंदरों के झुंड ने एक पेड़ के नीचे आकर
आश्रय लिया ।उन्होंने सूखे पत्ते और टहानियां इकट्ठी कर
उस पर लाल-लाल झाड़वेरी रखी। झाड़ बेरी को उन्होंने
लाल अंगारा समझा जिसमे आग जलती और उन्हें गर्मी
मिलती। पेड़ पर बैठी गौरैया ने उन्हें बताया कि वह
अंगारा ना होकर झावेरी हैं पर बंदरों ने ध्यान नहीं दिया
आग जलाने के लिए फुक मारने लगे। गौरैया ने उन्हें पुनः
समझाने का प्रयत्न किया तो बंदर नाराज हो गए। बंदरों
ने उससे उनके मामले में टांग अडांने से मना किया पर
गौरैया उन्हें सलाह देती रही ।क्रोध में आकर बदंर ने उस
पर छलांग लगा दी। गौरैया को चोट लग गई पर वो उड़
कर भाग गई।
सीख_ मूर्खों को सलाह देने से चुप रहना बेहतर है