एक बार एक शहरी चूहा अपने चचेरे भाई से मिलने देहात गया। देहाती चूहा बहुत प्रसन्न हुआ। उसने शहरी चूहे का स्वागत लड्डू और दूध से किया। वापस लौटते समय शहरी चूहे ने अपने चचेरे भाई से कहा," चलो शहर चलते हैं। मैं तुम्हें सुस्वाद भोजन कराऊगा। " देहाती चूहा ऐसा निमंत्रण पाकर बहुत प्रसन्न हुआ और वह भी सहरा आ गया।शहर में वे दोनों एक बड़े से भोजन कक्ष में गए जहां उन्होंने बड़े प्रेम से मछली और तरह-तरह के व्यंजनों का स्वाद लिया अचानक भौंकने और गुर्राने की आवाज सुनकर देहाती चूहा बेहद डर गया।साहरी चूहे ने कहा -अरे याह तो कुत्ते की आवाज है।पर देहाती चूहा बेहद घबरा गया था वह वहां एक पल भी रुकना नहीं चाहता था। उसने कहा, " अलविदा भाई,शांति से मिला हुआ अनाज और दूध,भय में रहकर केक खाने से अच्छा है.....और वह चला गया, "
शिक्षा -भय से जीने से अच्छा शांति पूर्व जीनाहै
वक्त बदलने पर लोग
इतना बदल जाते हैं
जो पहले बात करने के लिए
बहाना ढूंढते थे
अब बात ना करने के लिए
बहाना ढूंढते हैं
ईश्वर आपका भाग्य नहीं लिखता है
उसने यह सलाम आपको दे रखी है
और वह कलम है संकल्प की इसे
बड़ी सावधानी से प्रयोग करें
क्योंकि इससे आप अपना भाग्य
जाने अनजाने में आप निरंतर
लिख रहे हो