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उल्लू की मौत की कहानी



कौवे राज और उल्लू राज एक दूसरे के शत्रु बन

चुके थे। कौवा के मंत्री ने कहा कि उसके पास

शत्रुओं से निपटने की एक योजना है। उसने कहा,

" आप सब मुझे घायल करके फेंक दीजिए जिससे

मैं मनगढ़ंत कहानी सुना कर उल्लूओ से मित्रता

कर लूं!" वैसे ही हुआ। घायल मंत्री और कौवे ने

उन लोगों को अपना दुखड़ा सुनाया और उल्लू

राज की प्रशंसा करी। उसने आश्रय मांगा और

उनकी सेवा करने लगा। साथ ही आत्मदाह करके

अगले जन्म उल्लू बनने की इच्छा बताएं। वहीं

रहकर उल्लूओ की गुफा के दरवाजे पर उसने

सूखी लकड़ियां इकट्ठा करी। फिर अपने राज्य में

जाकर कौओ को जलती मशाल के साथ, अगले

दिन गुफा के द्वार पर बुलाया। उन्होंने इकट्ठी

लकड़ियों पर अपनी जलती मशाल लाकर डाल दी

आग भभकी गुफा धुएं से भर गया तो सारे उल्लू

वहां से भाग खड़े हुए।



 शिक्षा - मुसीबतों से बचने के लिए बुद्धिमानी आवश्यक है





          प्रेम कभी अपने जरूरत
       पूरा करने के लिए नहीं होता
         प्रेम हमेशा एक दूसरे के
         सुख दुख में साथ और
    भावनाओं को समझने के लिए होता है






       सुनने की आदत डाल लो क्योंकि ताने
              मारने वालों की कमी नहीं ह

             मुस्कुराने की आदत डालो क्योंकि
                रुलाने वालों की कमी नहीं है

          
         ऊपर उठने की आदत डालो
                    यूके टांग खींचने
               वालों की कमी नहीं है 

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