एक से आता हुआ दिखा। मैं भी बढ़ाई ने बुद्धि
माता से काम लिया और शेर को अपना भोजन
खिलाया। शेर को भोजन बहुत अच्छा लगा। उसने
बढ़ाई को निडरता पूर्वक जंगल में घूमने के लिए
कहा। बढ़ई ने उस का धन्यवाद किया और आभार
स्वरूप प्रतिदिन अकेले ही भोजन के लिए शेर को
आने को कहा। बढ़ाई स्वादिष्ट भोजन लाया करता
दोनों साथ साथ भोजन करते थे। हेयर के सहायक
सियारा और कौवा यह जानने को परेशान थे कि
हुजूर आखिर कहां जाते थे। एक दिन दोनों साथ
सियार और कौवे ने भोजन पर हाथ चलाने की।
ज़िद क़ी।बढ़ाई ने शेर को आता देखा तो पास के
वृक्ष पर चढ़ गया। शेर ने बढ़ाई से उसके भाय का
कारण पूछा। बढ़ई ने कहा, " मुझे आपसे भय नहीं
है पर आपके मित्रों पर विश्वास नहीं हैं।
शिक्षा - समझदार सोचकर ही मित्रता करते हैं हमें सोच समझकर मित्र बनाना चाहिए
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