करता था। उसके पास एक पालतू बंदर था जो उसकी
सेवा किया करता था। बंदर का सेवक होना राजा के
मंत्रियों को पसंद नहीं था। वे सदा राजा को सचेत किया
करते थे पर उनके मना करने पर भी राजा मंत्रियों की
बात नहीं सुनते थे। एक दिन दोपहर में राजा विश्राम कर
रहे थे ।उन्होंने बंदर से यह ध्यान रखने के लिए कहा कि
कोई भी भितार न आए और उनकी नींद में विघ्न ना
डालें। कुछ देर बाद एक मक्खी आकर राजा के पास
भिनभिनाने लगी। बंदर उसे बार-बार भगाता रहा पर वह
बार-बार आती जाती थी। आखिरकार ठक्कर बंदर ने
मक्खी को पाठ पढ़ाना चाहा। राजा का छुरा लेकर उसने
मक्खी को जोर से मारा। मक्खी तो उड़ गई पर राजा
घायल हो गए। बंदर बेचारा हक्का-बक्का रह गया।वह
।समझ नहीं पाया कि ऐसी गलती कैसे हो गई।
सीख_ मूर्ख को अपना सेवक नहीं रखना चाहिए हमेशा आपको नुकसान नहीं पहुंचाएगा