ओक का वृक्ष था।अक़डू और घमंडी ओक अपने
शक्ति का बहुत घमंड था।पास ही एक नदी बहते
थीं।उसके किनारे पर कुछ सरकंडे उग आए थे।
हवा चलती तो सरकंडे आराम से झूमा करते थे।
एक दिन खूब हवा चली। ओक अपनी जगह
अखड़ा हुआ खड़ा रहा, झुकना तो दूर हील भी
नहीं सका सरकंडा झुक गया और हवा को जाने
दिया। ओक ने उसकी हंसी उड़ाई और कहा, "तुम
कितने कमजोर हो.... जब भी हवा चलती है तो
तुम्हें झुकना पड़ता है" सरकंडे को बुरा लगा पर
उसने हिम्मत नहीं हारी बोला, " हां, मैं तुम्हारी तरह
विशाल नहीं हूं पर सुरक्षित हूं, " फिर एक रात
चोरों का तूफान आया तेज हवा चलिए और खूब
बारिश हुई। ओ का पेड़ जड़ से उखड़ गया पर
सरकंडे ने नीचे झुक कर अपनी जान बचा ली
शिक्षा - स्वयं को स्थित के अनुरूप ढालने में ही भलाई है
रिश्ता बनाने की ताकत रखते हो तो
तो रिश्ता निभाने की भी ताकत रखो
रिश्तो में ईमानदारी सच्चाई
सामने वाले को समझने की ताकत रखो
माना कि आप किसी का भाग्य नहीं बदल सकते
लेकिन अच्छी प्रेरणा देकर किसी का मार्गदर्शन
तो कर सकते हो भगवान कहते हैं जीवन में कभी मौका मिले तो
सारथी बन्ना स्वार्थी नहीं