तालाब के किनारे वे हर दिन मिलते थे। एक वर्ष
बहुत कम बारिश हुई तालाब को सूखा देखकर
हंसों को चिंता होने लगी उन्हें पहाड़ के दूसरी ओर
एक और तालाब का पता चला उन्होंने वहां जाने
का निर्णय किया अपने प्रिया मित्र कछुआ से दूर
नहीं होना चाहते द इसलिए उन्होंने कछुआ को भी
साथ चलने के लिए कहा कछुआ ने कहा की वह
उद नहीं सकता पर उसके पास एक युक्ति है उसने
हंस को एक दांडी अपनी सोच में pakdane के
लिए कहा और दांडी को बीच से वह पकड़ लेगा
हंस राजी हो गए पर उन्होंने कछुआ को उड़ते
समय अपना मुंह खोलने से माना किया वो तीनों
उड़ते हुए एक शहर के ऊपर से जा रहे थे।शहर के
बच्चों इस ashcharyjank दृश्य को देखकर खुश
होकर शोर मचाने लगे कछुआ ने भी कुछ कहना
चाहा जैसे ही उसने अपना मुंह खोलते ही वह गिर
पड़ा और घायल हो गया
सिख_buddhimanon की सलाह अवश्य माननी चाहिए वह हमें अच्छी सलाह देते हैं उनकी सलाह को कभी इग्नोर नहीं करना चाहिए