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लाल बुझक्कड़ की सूज भुज की कहानी




लाल कोट गांव में एक आदमी रहता था। उसका नाम लाल बुझक्कड़ था।  गांव के सभी लोग लाल बुझक्कड़ को बहुत चतुर और बुद्धिमान समझते थे जब भी कोई समस्या लोगों के सामने आती,  वह लाल बुझक्कड़ के पास आकर उसका हल पा लेते।

इस तरह दिन बीतते गए लाल बुझक्कड़ कोअपने ऊपर अभिमान होने लगा। वह समझता था कि वह कभी गलत नहीं होगा ऐसी कोई बात नहीं जिसे वह नहीं जानता









एक रात उनके गांव में हाथी आया। उस समय सभी लोग सो रहे थे।  हाथी को किसी ने कभी नहीं देखा था हाथी दूसरे दिन सुबह उठने पर लोगों को हाथी के पैरों के निशान मिट्टी पर दिखाई दिए। लोग आश्चर्य में पड़ गए। घबराकर वह आपस में चर्चा करने लगे।  कोई भी उन पैरों के निशान को पहचान नहीं पा रहा था। आखिर लोगों ने सोचा                      







 अब लाल बुझक्कड़ ही बता सकते हैं कि यह किसके निशान है।  लाल बुझक्कड़ को सम्मान पूर्वक बुलाया गया। इससे लोगों ने पूछा।,    यह बड़े-बड़े  निशान किसके हैं हमारे गांव में कौन आया था।  लाल बुझक्कड़ कुछ देर तक गौर से निशान को देखता रहा फिर बोला_


          लाल बुझक्कड़ बूझ के
            और ना मुझे कोई।
          पैर में चक्की बांध के
             हिरना कूदो होय।





लाल बुझक्कड़ के जवाब से लोग संतुष्ट हो गए। सब सोचने लगे, इतनी सीधी सी बात थी जो हम में से किसी को नहीं समझ आई ।सच में, रात को पैरों में चक्की बांधकर हिरण उछल कूद कर रहा होगा।




सीख।       दुनिया झुकती है झुकाने वाला चाहिए
 

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