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एक किसान और उसके दो बेटे की कहानी




एक किसान था उसके दो बेटे थे वह बहुत ही

आलसी और निकम्मे थे वह अपने पिता के

कामकाज में हाथ बताने के वजह व आलस करते

थे इधर उधर घूमते फिरते थे किसान को अपने बेटे

की बहुत फिक्र थी किसान सोचता था कि मेरे

मरने के बाद इनका क्या होगा यह अपना पेट कैसे

भरेंगे अपने परिवार को कैसे संभाल पाएंगे



एक दिन किसान की हालत बहुत गंभीर सिंह

कहने का मतलब किसान मरने की हालत में था

तभी किसान ने अपने दोनों बेटे को बुलाकर उनसे

कहा कि हमारे खेत में खजाना गड़ा है लेकिन वह

किस जगह है इसका पता मुझे भी नहीं है लेकिन

खोदने के बाद जरूर तुम्हें मिल जाएगा




इतना कहकर किसान भगवान को प्यारे हो गए

खजाने की खबर सुनकर दोनों बेटे के मन में

लालच आ गया और वह दोनों खेत पर चले गए

और खेत को खोदने लगे खजाने की लालच में

कुछ ही दिनों में खेत को खोदेने के बाद वाह घर

आकर बैठ गए और वह अपने पिता को कोसने

लगे इसी तरह कुछ महीने बीत गए और वर्षा ऋतु

का आगमन हुआ

किसान के बेटों के पास पेट भरने के लिए बस एक

ही जरिया था और वह था खेत

सब बाकी किसान की तरह किसान के बेटे ने बीज
बोना शुरू कर दिया

वर्षा का पानी पाते हैं वह बीज अंकुरित हुए और

देखते ही देखते खेत लहराने लगे

ऐसा लग रहा था कि हवा के झोंके लहरा रहे है

यह देखकर किसान के बेटे बहुत खुश हो गए

उनको समझ आ गया कि परिश्रम ही सच्चा धन

होता है और उसी तरह वह अपने पिता के शब्दों

का भी मोल समझ गए और कामकाज में लग गए




सीख_परिश्रमी सच्चा धन होता है इसलिए हमें मेहनत करना चाहिए


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