रहता था उसके दो मुख थे किंतु पेट एक ही था 1
दिन समुद्र के किनारे घूमते हुए उसे एक अमृत
समान मधुर फल मिला इस फल को समुद्र की
लहरों ने किनारे पर फेंक दिया था उसे खाते ही
एक मुख वाला पंछी बोला ओह यह कितना मीठा
है यह फल आज तक मैंने अनेक फल खा लेकिन
इतना स्वाद कोई नहीं था ना जाने किस अमृतवेल
का यफल है
दूसरा मुख इन सब से वंचित रह गया था उसने भी
जब उसकी महिमा सुने तो
पहले मुख से कहा_मुझे भी थोड़ा सा चखने को दे दो
पहला मुख हंसकर बोला_तुझे क्या करना है
हमारा पेट तो एक ही है उसमें वह चला ही गया
तृपत तो हो ही गई है
कहने के बाद शेषफल वह अपने प्रिया को दे दिया
उसे खा कर उसकी प्रेयसी बहुत प्रसन्न हुई
दूसरा मुक उसी दिन से विरक्त हो गया और इस
तिरस्कार का बदला लेने के लिए उपाय सोचने लगा
अंत में 1 दिन उसे एक उपाय सूझ गया और वह
कहीं से एक विसफल लाया प्रथम मुख्य को
दिखाते हुए उसने कहा देख यह विसफल मुझे
मिला है देख मैं ईसे खाने लगा हूं
प्रथम मुख्य रोकते हुए आग्रह किया मूर्ख ऐसा मत
कर इसे खाने से हम दोनों मर जाएंगे
द्वितीय मुख ने प्रथम मुख से निषेध करते करते-
करते अपने अपमान का बदला लेने के लिए
विस फल खा लिया परिणाम यह हुआ कि 2 मुख
वाला पक्षी मर गया
सीख _एक दूसरे को नीचा नहीं दिखाना चाहिएकोई भी चीज जो हमें मिल बैठकर खाना चाहिए_