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सारस केकड़ा और मछलियों की कहानी




एक बार एक तालाब में एक बूढ सारस वह

मछलियां पकड़ कर नहीं खा सकता था ज्यादा

बुड्ढा होने के कारण बुड्ढा सारस मछलियां नहीं

पकड़ पाता था। 1 दिन उससे एक युक्ति सूची वह

चुपचाप तालाब के किनारे बैठ कर रोने लगा।

केकड़े ने उसके पास आकर रोने का कारण पूछा।

सारस ने बताया कि उसे पता चला। बहुत जल्दी

बारिश नहीं होने से तालाब सूख जाएगा और

मछलियां मर जाएंगे।









तब सभी ने केकड़े से एक उपाय पूछा केकड़े के

उपाय पूछने पर उसने कहा कि यदि सारस चाहे तो
वह मछलियों को पास के तालाब में पहुंचा देगा।

केकड़ा और उसकी सब क मछलियां खुश हो गई

सारस बहुत खुश हुआ उसे लगा कि अब

मछलियां नहीं पकड़ना पड़ेगा सारस ऊने दूसरे

जगह पहुंचाने के बहाने ले जाकर एक-एक करके

मछलियों को  रास्ते में ही खा लेता था 1 दिन के 

कड़े की बारी आई वह सारस की पीठ पर बैठ गया 
रास्ते में एक जगह केकड़े को हड्डियों के ढेर को 

देखकर उसने सारी बात समझ ले केकड़े ने सारस 

के गले पर जोर से कटा सारस दर्द से कराह उठा 

और केकड़ा अपनी जान बचाकर अपने तलाब 

लौट आया





सीख _समय पर सूज भुज बहुत जरूरी होती है मुसीबत से हारना नहीं लड़ना जरूरी होता है

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