एक लड़का अपने दादा जी से सवाल पूछा सभी अपने जीवन में आगे बढ़ना चाहते हैं लेकिन बहुत कम लोग अपने लक्ष्य तक पहुंच पाते हैं अगर अपने लक्ष्य तक पहुंचना है तो क्या करना चाहिए लड़का अंतिम वर्ष का छात्र था और अपने परीक्षा की तैयारी कर रहा उसके दादाजी प्राइमरी स्कूल के रिटायर शिक्षक हैं उन्होंने लड़के की बात सुनने के बाद कहा अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए व्यक्ति को पहले खुद असफलताओं को स्वीकार करने के लिए तैयार करना चाहिए
दादा जी का जवाब सुनने के बाद लड़के ने पूछा
मैं आपकी बात समझ नहीं पाया
आखिर अपने आप को सफलता के लिए तैयार कर सफलता कैसे पाई जा सकती हैं
लड़के की बात सुनने के बाद दादाजी ने कहा _इस बात को मैं तुम्हारी ही उदाहरण देकर समझाता हूं
तुम इस समय प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे हो तुम अगले होने वाली परीक्षा में बैठोगे कि तुम्हें सफलता मिलेगी की बात सुनकर लड़के ने हां में सिर हिलाय
इसके बाद दादाजी ने कहा_मानो तुम अपने पहले प्रयास में असफल हो जाते हो तो तुम क्या करोगे
लड़के ने कहा_ मुझे बहुत निराशा होगी मैं तैयारी में अपनी तरफ से कोई कमी नहीं छोड़ रहा हूं
दादा जी ने कहा_निराशा ही असफलता की जड़ है
वह कैसे _लड़के ने सवाल किया
दादा जी बोले तुम्हें लगता है कि तुम्हारी तैयारी मुकम्मल है लेकिन परीक्षा में तो दूसरे की इच्छा पर निर्भर है
अगर तुम पहले प्रयास में असफल होने के बाद निराश हो जाते हो तुम्हारी आगे की तैयारी प्रभावित होगी
अगर तुम असफलता को अपनी कमियों को दुरुस्त करने का मौका मानोगे तभी आगे की तैयारी मैं उन्हें दूर कर पाओगे
हर परीक्षार्थी की यही सोच होता है कि उसकी तैयारी पूरी है लेकिन सफलता कुछ लोगों को मिलते हैं
ए वही लोग होते हैं जो अपनी असफलता से सीखते हैं और दूसरों की असफलता से सीखने की कोशिश करते है
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि अगर हमें असफलता मिलती है तो हार नहीं मानना चाहिए आगे और कोशिश करना चाहिए