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साधु और ठग के धन की कहानी





एक साधु अपने धन की थैली सदा अपने पास

रखता था ।एक दिन एक ठग ने यह देखकर सोचा

कि हो ना हो उसमें अवश्य ही कोई मूल्यवान वस्तु

है ।इसे अवश्य ही चुराना चाहिए। उसने साधु से

जाकर कहा कि वह अनाथ है पर ईमानदार व्यक्ति

है और उनका शिष्य बनना चाहता है। साधु ने कुछ
सोचा और फिर उसे शिष्य बना लिया।








एक दिन वह दोनों एक जंगल से जा रहे थे। एक

झरना बहता देखकर साधु स्नान करने के लिए

रुक 

गया। अपने शिष्य के भरोसे अपना सामान 

छोड़कर वह नहाने लगा । उसे नहाने में व्यस्त 

देखकर ठग ने इसे अच्छा अवसर समझा और 

उसका सामान तथा थैली लेकर भाग गया। 

नहाकर वापस आने पर साधु ने शिष्य तथा 

सामान 

दोनों को गायब पाया। दूर-दूर तक कोई नहीं था। 

दुखी होकर साधु ने सोचा कि वह कितना मूर्ख था 

जो उसने एक अजनबी पर भरोसा किया।



शिक्षा _असावधानी विनाश का कारण होती है। किसी अजनबी पर विश्वास नहीं करना चाहिए।

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