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सियार और ढोल के भय की कहानी




एक बार एक सियार भोजन की खोज में जंगल से

निकलकर घूमते घूमते एक खुले मैदान में आ

गया। बहुत थकान होने के कारण उसकी आंख

लग गई। अचानक एक जोरदार आवाज हुई जिसे

सुनकर बहुत बैठा। घबराकर था और भागने लगा

पर कहीं वह बेकार ही तो नहीं डर रहा







यह सोचकर रुक गया। उसने आवाज का पता

लगाने के लिए चारों ओर ध्यान से देखते हुए मैदान

में चक्कर लगाना शुरू किया तभी उसकी दृष्टि

अचानक लड़ाई के काम आने वाले एक ढोल पर

पड़ी हवा से लताए हिलटी थी और ढोल पर

लताओं की चोट से आवाज निकलती थी।








सियार ढोल के पास आ गया। ढोल के भीतर

शायद भोजन हो यह सोचकर उसने उसे फार

डाला। पर ढोल खाली था। खाली ढोल को वहीं

छोड़कर वह भोजन ढूंढने आगे निकल गया उसने 

अपने आप को यह कह कर समझाया, ....कम से 

कम मेरा भय तो निकल गया।





शिक्षा_भय सबको लगता है और जो भय से जीते वही साहसी हैं इसलिए हमें डरना नहीं चाहिए

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