पेड़ के कोटर में एक सांप भी रहता था। जब भी
कौवी अंडा देती सांप उसे जाकर खा लेता था।
परेशान होकर कव्वे ने अपने मित्र सियार को यह
बात बताई। सिया ने उसे रानी का हार चुराकर
सांप के कोटा में डालने के लिए कहा।
एक दिन तालाब में नहाते रानी का मूल्यवान हार
कव्वे ने बाहर पत्थर पर देखा था। अवसर पाकर
उसे उठाकर उसने सांप के कोटर में डाल दिया।
रानी के सिपाहियों ने कव्वे को ऐसा करते देख
लिया था। उन्होंने अपने भाले को कोटर में
डालकर भीतर से हार निकालना चाहा।
सांप भाले
की चोट से डर कर बाहर निकल कर भाग गया।
और फिर कभी वापस लौट कर नहीं आया।
सिपाही हार लेकर चले गए और कौवे का जोड़ा
खुशी-खुशी रहने लगा
सीख_निराशा त्याग कर सदा प्रसन्न रहना चाहिए
कभी उदास नहीं रहना चाहिए