आज बगीचे की सैर करने के लिए महाजन परिवार
निकला था। बगीचा बड़ा ही सुंदर था। रंग बिरंगे
फूलों के पौधे और पेड़ों से सजा हुआ था। हर
तरफ हरियाली थी बच्चों के खेलने के लिए विभिन्न साधन भी थे
परिवार वाले मजे से बगीचे में घूम रहे थे। छोटा
राजू भी उनके साथ घूम रहा था। एका एक राजू
को मस्ती करने की सूची और उसने एक बड़े पेड़
की टहनी जोर से थोड़ी। बाजू में खड़े गुलमोहर के
पेड़ में राजू को तोका। गुलमोहर राजू से बात करने लगा
वह बोला_ इस टहनी को तुम ने क्यों तोड़ा क्या
तुम जानते हो कि मैं भी तुम्हारी तरह एक जीवित
वस्तु हु। आज मैं तुम्हें अपने जीवन के बारे में
बताता हूं मेरा नाम गुलमोहर है हूं तो मैं एक पेड़ ही
मेरा जन्म यहां एक बगीचे में हुआ था कहां जाता
है कि करीब डेढ़ सौ वर्ष पहले मुझे अफ्रीका में
पहचान मिली वहां से कई जगह घूम घूम के में
भारत में आया
जब मैं छोटा था तब मेरी देखभाल इस बगीचे का
मालि देखभाल किया करता था उसने मुझे भोजन
पानी खाद देकर बड़ा किया मेरे फूल बहुत सुंदर
दिखते हैं इनके रंग सिंदूरी किरमीज और केसर
जैसे होते हैं मेरे ऊंचाई प्रायः 13 से 17 मीटर होते
हैं मेरे कई उपयोग है मेरी सुखी डालो से फर्नीचर
अनेक उपयोगी चीजें बनती हैं गांव में
मुझे जलाकर उस पर भोजन पकाया जाता है मेरी
डालो पर पक्षी घोसले बनाते हैं मेरी छाया में लोग
ठंडक महसूस करते हैं
मेरे कई अन्य भाई भी हैं जैसे नीम, पीपल, बरगद
आम ,इमली, आदि यह फल और फूल देते हैं वृक्षों
से अनेक औषधियां भी प्राप्त होते हैं वृक्षों के जड़
धरती का आरक्षण करती हैं पर्यावरण शुद्ध करने
में भी बहुत मदद करते हैं वृक्षों से वर्षा होती है हम
सब लोगों के काम में आते हैं फिर भी लोग हमें
बेरहमी से काटते हैं तुमने भी तो अभी-अभी एक
स्टहनी तोड़ी जब हमारी ताहानियां फल और फूल
जोरो से तोड़े जाते हैं तो हमें दर्द होता है हमें धरती
से उखाड़ आ जाता है हमारे दुखों को कोई
महसूस नहीं करता
हम सब को मदद करते हैं तो हमारी रक्षा करना
आपका कर्तव्य है हम सभी हमारे दर्द को जान
लो बस यही मेरी सबसे प्रार्थना है गुलमोहर
की बातें सुनकर राजू को खुद के करनी पर लज्जा
आती है मन में कुछ निश्चय करके हुआ भागते
भागते अपने परिवार वालों से मिल गया
सीख_ पेड़ पौधे हमारे सच्चे मित्र होते हैं हमें उन्हें काटना नहीं चाहिए
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