कई वर्ष पहले सीतापुर गांव में एक आदमी रहता
था। उसे दिन में सपने देखने की बुरी आदत थी।
इसलिए लोग उसे शेखचिल्ली कहते थे।शेखचल्ली
सभाब से बहुत सीधा-साधा व्यक्ति था। पेट भरने
के लिए वह मजदूरी किया करता था।
एक दिन एक सेठ ने घी खरीदा। घी का बड़ाबर्तन
शेखचिल्ली के सर पर रखवा कर उसे घर का पता
बताया और घी का बर्तन घर में पहुंचाने को कहा।
शेखचिल्ली काम मिलने के कारण बहुत खुश था
उसने सोचा आज उसे मजदूरी में कम से कम ₹1
तो जरूर मिलेगा । इसी तरह वह और थोड़े दिन
मजदूरी करके पैसे कमाएगा और उन पैसों को
जोड़कर एक बकरी खरीदेगा। फिर बकरी के
बहुत
सारे बच्चे होंगे उन बच्चों को बेचकर व और पैसे
कमाएगा
जब बहुत सारे पैसे इकट्ठे हो जाएंगे तो वह अपनी
बीवी के लिए गहने बनवाएगा नई साड़ी खरीदेगा
वह बीबी से पूछेगा सिनेमा चलोगी बीबी गर्दन
हिला कर मना करेगी वह बीवी को मनाएगा फिर
वह जोर से गर्दन हीलाएगी यह सोचते सोचते
शेखचिल्ली ने जैसे ही गर्दन हिलाई घी का बर्तन
नीचे गिर गया सारा घी जमीन पर फैल गया शेख
शेख चिल्ली पर जोर से चिल्लाया और उसक खूब
पिटाई की वह बेचारा रोता रहा दिन में सपनेदेखने
की बुरी आदत की वजह से आज उसका यह हाल
हुआ था
सीख_दिन में सपने नहीं देखना चाहिए अपनी मेहनत पर भरोसा करना चाहिए
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